कांग्रेस का महाभियोग ......या महाभूल ....
कांग्रेस और उनके सात सहयोगी दलों के राज्यसभा सदस्यों ने सर्वोच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश श्री दीपक मिश्र के विरुद्ध महा अभियोग प्रस्ताव जो प्रस्ताव लाया था उसे उप राट्रपति ने अस्वीकार कर एक बड़े नाटक पटाक्षेप कर दिया . सुगबुगाहट तो बहुत दिनों से थी लेकिन इसे तब लाया गया जब दीपक मिश्र ने जज लोया की मौत के पुन: जाँच से इंकार कर दिया . आखिर क्या मनसा है कांग्रेस की . चीफ जस्टिस 2 अक्टूबर को रिटायर होने वाले हैं और कांग्रेस के सहयोगी दलों के पास इतनी संख्या बल नहीं कि महाभियोग पास करा सकें तो फिर ये महाभियोग का नाटक क्यों? क्या इसका एकमात्र मकसद न्याय पालिका को धमकाना है कि अगर कांग्रेस की मांग नहीं मानी तो इज्जत बेइज्जत करेंगे और उन पर आरएसएस और बीजेपी का ठप्पा लगा देंगे ताकि भविष्य में उन्हें कोइ पद और प्रतिष्ठा न मिल सके . इस तरह के हथकंडे भारत जैसे विशाल देश में बहुत काम करते है . जिलों और तहसील स्तर पर यही हो रहा है . अधिकांश अधिकारी हार मान लेते है क्योकि कोई लफड़े में पड़ना नहीं चाहता . मै स्वयं जिलों में पोस्टिंग के दौरान ऐसा महसूस करता रहा हूँ. राम मंदिरमुद्दे की सुनवाई के दौ