किसी इंसान के मौत पर युद्ध हो सकता है और कुत्ते की मौत पर भी । लेकिन अगर कुत्ते की मौत काल्पनिक हो तो भी युद्ध हो सकता है , ये आप पहले बार देख रहे होंगे । दरअसल नरेंद्र मोदी ने लंदन की एक पत्रिका को दिये इंटरव्यू मे ये कहा की अगर आप गाड़ी मे पीछे बैठे हों और आपकी गाड़ी से कोई कुत्ते का पिल्ला कुचल जाए तो भी दुख होता है। बस फिर क्या था राजनैतिक गलियारों मे और लगभग सभी टीवी चैनलो पर वाक युद्ध शुरू हो गया। तरह तरह के भावार्थ निहातार्थ निकले जाने लगे । मोदी का इशारा शायद यह है की गैर इरादतन , अनजाने मे बिना उनकी किसी प्रत्यक्ष गलती के गुजरात दंगों मे मारे गए लोगो की मौत का उन्हे दुख है। कहा तो ये भी जाता है की चीटी के मरने का भी दुख होता है। अच्छा होता की इस तरह के उदाहरण से वे बचते। तब शायद उनके विरोधी इंटरव्यू की किसी और बात का बतंगड़ बना देते जैसा की उनके हिन्दू राष्ट्रवाद के बयान को लेकर मचाया जा रहा है। मुझे लगता है की उनके फालोवेर्स मे विरोधी दल के भी काफी नेता है जो उनकी हर बात और हर गतिविधि को बड़े ध्यान से देखते है और अपने दल के अनुकूल तीखी प्रतिक्रिया व...
विपक्ष ने देश को किया शर्मसार ****************************** आज कुछ राजनैतिक दलों ने, जिसमे कुछ का दिल पकिस्तान के काफी नजदीक हैं, ने मीटिंग कर पाकिस्तान को एक नया हथियार दे दिया है . राहुल की अगुआई में पढ़े गए एक वक्तब्य में पुलवामा के शहीदों के राजनीतिकरण के लिए सरकार की निंदा के गयी . यानी ४५ जवानों की शहादत के बाद सरकार को जैश के ठिकाने ध्वस्त नहीं करने चाहिए थे क्योंकि ऐसा न हो कि मोदी को कोई राजनैतिक फायदा हो जाये और उन्हें नुकसान. राहुल की विद्वता पर तो किसी को कोई स ंदेह नहीं है, सभी जानते हैं किन्तु चन्द्र बाबू नायडू , ममता आदि को क्या कहा जाय जो आज राहुल के पिछलग्गू हो गए ? आज राहुल पाकिस्तान और हिन्दुस्तान दोनों जगह हेड लाइंस में हैं . पकिस्तान की सेना का खोया विश्वाश लौटने लगा है . हिन्दुस्तान के विपक्ष के समर्थन से उनके चेहरे पर मुस्कान आ गयी है. क्या देश को लोग वेबकूफ है जो ये नहीं समझ पाएंगे कि मोदी विरोध और राष्ट्र विरोध में क्या अंतर है ? इसके पहले पकिस्तान द्वारा जितने भी आक्रमण / अतिक्रमण हुए , विपक्ष ने हमेशा सरकार का साथ दिया क्योकि यदि सरकार का मनोबल कमज...
फारुख अब्दुल्ला ने कल एक जनसभा को संबोधित करते हुए भारत के 125 करोड लोगों की भावनाओं पर कुठाराघात किया और कहा कि क्या पीओके क्या आपकी (हिन्दुस्तान) बपौती है ? क्या पीओके उनके (हिन्दुस्तानियों) बाप का है ? जी हाँ हमारे....हम सबके बाप का है और रहेगा. असली मुद्दा है कि जो कश्मीर पाकिस्तान के कब्जे में है वह कब वापस आएगा ? फारूक का ये बयान पूरे हिन्दुस्तान के लिए एक गाली है इसलिए बिना राजनीति किये सारे दलों को चाहिए कि न केवेल इसकी निंदा करें बल्कि उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की जाय उस पर भी एकमत होना चाहिए. कुछ लोग बहुत भ्रम में जीते है उन्हें संदेह रहता है कि वे खुद किसकी बपौती है ? हिन्दुस्तान की या पकिस्तान की ? क्या पीओके उनकी बपौती है ? या पाकिस्तान उनका बाप है ? इतिहास गवाह है फारूक के बाप के नेहरू से बड़े अच्छे सम्बब्ध थे (कारण कुछ भी हो). उनके बाप शेख अब्दुल्ला ने भारत के साथ विश्वाश घात किया और देशद्रोह किया. मजबूरी में नेहरू को उन्हें देश द्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर जेल में डालना पड़ा. कम से कम हम हिन्दुस्तानियों के बाप देशद्रोही तो नहीं थ...
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