सरहद ने फिर जख्म खाये हैं , देश के पाँच वीर पुंछ से शहीद होकर आए हैं , “ पाकिस्तान और आतंकवादियों की कायराना हरकत जैसे ” कई बयान एक साथ आए है , राजनेताओं से , भारत मे यह एक चलन है , पिछले काफी समय से , जिसे हर विदेशी और आतंकवादी आक्रमण के बाद , राज नेता करते आए है । इतिहास गवाह है , आक्रमणकारी कभी कायर नही कहलाते । कायर तो वो कहलाते हैं जो आक्रमण का मुंह तोड़ जबाब नहीं दे पाते । अगर ये आक्रमण कायरता है , तो पराक्रम क्या है ? पाकिस्तान का बचाव करना , खामोश रहना , या समर्पण करना , अगर यही सच है , तो ये पराक्रम की उल्टी पराकाष्ठा है , और बेहद गैर जिम्मेदाराना है , सच तो ये है कि ऐसे हमलों को कायराना कहना ही कायराना है। क्या हिंदुस्तान इतना कमजोर है ? असहाय है ? लाचार है ? पर दुनियाँ को संदेश तो यही गया है कि यह देश बहुत बदहाल हो गया है । पूरा विश्व जनता है कि पाक है नापाक आक्रमणकारी , और भारत है उतना ही कुख्यात वार्ताकारी । आखिर वार्ता क्यों हो और किसलिए ? अगर हो ... तो सिर्फ इसलिए कि बस .... बहुत हो गया
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